3 दिवसीय रामकथा का सुखान्त

चित्रकूट- मऊ में चल रही 3 दिवसीय(10 अप्रैल-12अप्रैक तक) राम कथा का अमृतपान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जहाँ विदुषी मिथलेश दीक्षित रामकथा सुना रही थी बहुत सुंदर प्रसंग था जिसे मैं अज्ञानी अपनी बुद्धि के अनुसार प्रकट कर रहा हूँ।
भगवान राम के विवाह बाद सभी अयोध्या वासी चारो भाइयो और बहुओं की इस तरह प्रतीक्षा कर रहे थे जैसे चकवा-चकवी बरसात के स्वाति नक्षत्र की पहली बून्द का करते हैं।
भगवान का घर आगमन हुआ सुंदर स्त्रियां मधुर गीत गा रही उसके बाद पूजा अर्चना होती है जिसे बाबा लिखते हैं कि आगमन के बाद माताएं

पूजीं ग्रामदेबि सुर नागा। कहेउ बहोरि देन बलिभागा॥
जेहि बिधि होइ राम कल्यानू। देहु दया करि सो बरदानू।।
माताओं ने ग्राम देवी,देवताओं और नागों की पूजा के बाद बलि भेँट करने को कहा और प्रार्थना किया कि जिसमे राम का कल्याण हो वही वरदान दीजिए
इसके कुछ दिनों बाद सभी विद्वान मंत्रियों ने चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ को भगवान राम का राज्याभिषेक करने की सलाह दी यह सुनकर राजा हर्षित हुए और गुरु वशिष्ठ को महल बुलाया तथा समयोचित उपदेश हेतु रामचन्द्र जी के महल भेजा लेकिन किसे पता था कि यह राज्याभिषेक ही राज्य में तूफान ला देगा गुरु आगमन का समाचार सुनकर मंगल मूल अमंगल दमनू भगवान बाहर आकर कहते हैं

कथा का रसपान करते रसिकजन

सेवक सदन स्वामि आगमनू। मंगल मूल अमंगल दमनू॥
तदपि उचित जनु बोलि सप्रीती। पठइअ काज नाथ असि नीती।
आपका आगमन मंगल करने वाला है फिर भी उचित तो यही था कि प्रेम पूर्वक दास को ही बुला लेते, इतने भोले है मेरे राम। परन्तु आपने प्रभुता छोड़ जो स्नेह किया (यहाँ पधारकर) इससे यह घर पवित्र हो गया इधर मुनि ने रामचंद्र जी के गुणों का बखान कर राज्याभिषेक की तैयारी का समाचार सुनाया समाचार सुनकर प्रभु सोचते हैं कि

जनमे एक संग सब भाई। भोजन सयन केलि लरिकाई॥
करनबेध उपबीत बिआहा। संग संग सब भए उछाहा।। हम सभी भाई एक ही साथ जन्मे साथ खेले सब साथ ही हुआ किंतु सभी भाइयो को छोड़कर राज्याभिषेक मेरा अकेले कैसे हो रहा?
बाबा लिखते हैं
बिमल बंस यहु अनुचित एकू। बंधु बिहाइ बड़ेहि अभिषेकू॥
प्रभु सप्रेम पछितानि सुहाई। हरउ भगत मन कै कुटिलाई
ऐसे हैं राम यही है राम राज्य जहाँ लेश मात्र लालच न रहे द्वेष न रहे कपट से रहित हृदय ही रामराज्य का अनुसरण करने वाला है
उधर कुटिल चाल वाली कूबरी घर को गिराने में लग गयी उसकी चाल ने राजा के प्राण तक हर लिए उसने कैकेयी को इतना कलंकित किया कि हजारों वर्षों बाद आज भी कोई माता-पिता अपनी पुत्री का नाम #कैकेयी नही रख रहा इसलिए कहा गया है कि नीच बुद्धि वाले कि संगत नही करनी चाहिए
राज्याभिषेक की बात मंथरा को रास नही आई सो उसने कैकेयी को राजा द्वारा दिये गए 2 वचनों के मांगने का सही समय बता दिया
वह त्रियाचरित्र करते हुए कैकेयी के पास जाकर आंशू ढारने लगी,बाबा ने लिखा है

भरत मातु पहिं गइ बिलखानी। का अनमनि हसि कह हँसि रानी॥
ऊतरु देइ न लेइ उसासू। नारि चरित करि ढारइ आँसू॥
यह देखकर माता कैकेई डांटकर बोली क्या कहना चाहती है बोलो उसने त्रिया चरित्र सुनाया कहा मैं कुरूप औरत किसका बल पाकर बोलू मुझे तू प्रिय हैं भरत ननिहाल में है और राम राजा बन जाएंगे यह राजा की चाल है। यह सुनकर भगवान राम से प्रेम करने वाली माता कैकेई बोली
कौसल्या सम सब महतारी। रामहि सहज सुभायँ पिआरी॥
मो पर करहिं सनेहु बिसेषी। मैं करि प्रीति परीछा देखी॥
राम को सहज स्वभाव से सब माताएँ कौसल्या के समान ही प्यारी हैं। मुझ पर तो वे विशेष प्रेम करते हैं। मैंने उनकी प्रीति की परीक्षा करके देख ली है॥ फिर भी काल की गति कौन रोक सकता है मंथरा ने बाजी मारी उसने कपट की करोड़ो कहानिया सुनाई और राम से अनंत स्नेह करने वाली कैकेई उसके बहकावे में आकर राजा दशरथ से 2 वरदान मांगें (को न कुसंगति पाइ नसाई)
त्रिशूल,वज्र और तलवार की चोट सहने वाले राजा दशरथ कामदेव के पुष्पबाण से मारे गए
कोपभवन में बैठी रानी कैकेई के पास जाकर
राजा बोले तुम किसलिए रूठी हो ? राजा रानी कैकेयी के हाथ स्पर्श करते तो वह नागिन की तरह देखती हुई उनके हाथ को जोर से झटक देती और दूर खिसक जाती।
इसी को बाबा तुलसीदास लिखते हैं
अनहित तोर प्रिया केइँ कीन्हा। केहि दुइ सिर केहि जमु चह लीन्हा॥
कहु केहि रंकहि करौं नरेसू। कहु केहि नृपहि निकासौं देसू॥ राजा दशरथ कहते हैं- हे प्रिये! किसने तेरा अनिष्ट किया? किसके दो सिर हैं? यमराज किसको लेना चाहते हैं? कह, किस कंगाल को राजा कर दूँ या किस राजा को देश से निकाल दूँ? यदि देवता भी तेरे शत्रु है तो उन्हें भी बंदी बना लाऊ। इतने पर भी कैकेई नही बोली तब राजा ने कहा मुझे सौ बार राम की सौगंध है तू अपनी मनचाही बात माँग मैं उसे पूरा करूँगा यह सुनकर रानी गहने पहनने लगी और कपट्युक्त प्रेम कर भौंहे और मुँह सिकोड़कर कहती है कि आप कहते हैं लेकिन वचन पूरा नही करते यह सुन राजा अधीर हुए और बोले
झूठेहुँ हमहि दोषु जनि देहू। दुइ कै चारि मागि मकु लेहू॥
रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्रान जाहुँ परु बचनु न जाई
राजा के मनोरथ रूपी सुंदर वन सुख रूपी पक्षियों के समुदाय पर कैकेई अपना वचन रूपी भयंकर बाज छोड़ती हुई भारत को राज गद्दी और राम को सन्यासियों के वेश में 14 वर्ष का वनवास माँग लेती है यह सुनकर राजा दशरथ की दशा ताड़ के पेड़ पर बिजली गिरने की तरह हो गयी, माथे पर हाथ रखकर वो मूर्छित हो गए
और अयोध्या उजड़ गयी
अवध उजारि कीन्हि कैकेईं। दीन्हिसि अचल बिपति कै नेईं।
किसे पता था कि जिस घर मे जगत का मंगल करने वाले प्रभु राम रहते हैं वही उस घर को उजाड़ने वाली एक कुबुद्धि कैकेई रहती है।


सोचिए अमंगलहारी भगवान यदि राजा बन जाते तो धरती के जीवों और देवताओं का क्लेश रावण कैसे मरता इसलिए उन्होंने पिता की आज्ञा पालनकर राजा से भगवान बने, उन्होंने बताया कि कठिन साधना के बल पर ही जग में पूजनीय होगे, राम ने बताया कि आलस्यता से जीतने वाला प्रत्येक नकारात्मक शक्ति से जीतता है, उन्होंने बताया कि अपनो के लिए राजपाठ धूल के समान है, परिश्रम के बल पर तुम सोने की लंका जीत जाओगे, उन्होंने बताया कि अपनी माटी अनमोल है, सत्य और त्याग अपनाने पर समाज तुम्हे वो सब जबरन देगा जो तुम किसी वचन के कारण छोड़ चुके हो।
रामचरित्र यह सिखाता है कि मंथरा और कैकेई की तरह बुद्धि वालो के साथ रहने पर घर उजड़ जाता है, भरत जैसा पुत्र दूर हो जाता है, राजा दशरथ जैसा सिंह भी समय से पहले गिर जाता है और युगों-युगों तक समाज आपके नाम से भी घृणा करता है वह कैकेयी,मंथरा,कुम्भकर्ण और जैसे नाम अपनी संतानों को छोड़िए जानवरो के भी नही रखता।

कथा के संयोजक Kamta Prasad Mishra सहित सैकड़ों कथा श्रोता उपस्थित रहे।

बुन्देलखण्ड का मशहूर मसाला
  • प्रकाश ओझा (editor)

    प्रकाश ओझा (editor)

    Related Posts

    शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए निकाली रैली

    चित्रकूट-शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए इंटर कॉलेज के प्रबंधक पूरे स्टाफ के साथ गाँव-गाँव जाकर लोगो से बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह किया जा रहा है।जनपद के…

    अनुज हनुमत ‘ऋतुराज रजावत स्मृति पत्रकारिता सम्मान 2025’ से सम्मानित

    संयुक्त मीडिया क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में चित्रकूट जनपद के युवा पत्रकार और प्रेस क्लब ऑफ यूपी के जिलाध्यक्ष अनुज हनुमत को पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    3 दिवसीय रामकथा का सुखान्त

    3 दिवसीय रामकथा का सुखान्त

    शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए निकाली रैली

    शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए निकाली रैली

    पत्रकार की हत्या का पुलिस ने किया खुलासा

    पत्रकार की हत्या का पुलिस ने किया खुलासा

    अनुज हनुमत ‘ऋतुराज रजावत स्मृति पत्रकारिता सम्मान 2025’ से सम्मानित

    अनुज हनुमत ‘ऋतुराज रजावत स्मृति पत्रकारिता सम्मान 2025’ से सम्मानित

    क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर ने खुद को मारी गोली

    क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर ने खुद को मारी गोली

    स्वच्छता मिशन की पोल खोलती विद्यालय के सामने पसरी गंदगी

    स्वच्छता मिशन की पोल खोलती विद्यालय के सामने पसरी गंदगी