सभी पंचांगों और मतों को देखने तथा विद्वानों से चर्चा करने के पश्चात निर्णय सिंधु का ‘सप्तमी युताषष्ठी ग्राह्या’यह वाक्य जो दिवोदास द्वारा कथित है ,इस सिद्धांत को मूलरूप से स्वीकार करते हुए
अखिल भारतीय प्रयाग पंडित सभा द्वारा हलषष्ठी या ललही छठ का व्रत २५अगस्त दिन रविवार को व्रत करके पूजन किया जाना सुनिश्चित किया गया है, अतः सभी प्रकार के भ्रमों में न पड़ते हुए सर्वग्राह्य मत का अनुसरण करें।
कुछ लोग भरणी और भद्रा को भी इसमें लपेट रहे हैं उनके लिए यह बताना अनुरूप होगा कि भरणी इसमें किसी प्रकार से दोष पूर्ण नहीं है और न ही इसमें भद्रा वर्जित है अतः २५अगस्त रविवार को पुत्रवती स्त्रियां हलषष्ठी का व्रत करें इस दिन षष्ठी तिथि दिन १०:२८ तक प्राप्त है इसमें पूजन प्रारंभ कर सकें तो श्रेयष्कर रहेगा तथापि व्रत पूजन इत्यादि में या तिथिरुदया ज्ञेया सा तिथि:सकलास्मृता की उक्ति को मानते हुए प्रातः काल से लेकर मध्यान्ह काल तक में किसी समय पूजन करना चाहिए।
डा राममिलन मिश्र (आचार्य)
अध्यक्ष -श्री वेदाङ्ग संस्थान प्रयागराज
अखिल भारतीय प्रयाग पंडित सभा।
श्री हरिबालभोग समिति
गो गीता गंगा रक्षा मंच।