अपनी बुआ स्व:रामदुलारी को कथा सुनवा रहे रंजीत शुक्ला
चित्रकूट- रामनगर क्षेत्र के छीबो गाँव मे चल रही भागवत कथा का आज 6वा दिन था जिसमे राजस्थान के अलवर जिले से पधारे कथा व्यास आचार्य सुदर्शनाचार्य जी महाराज अमृत रूपी कथा का रसपान करा रहे हैं उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के नामकरण का प्रसंग सुनाते हुए कहते है कि
ऋषि गर्ग यदुवंश के कुलगुरु थे। उन्होंने ही श्री कृष्ण भगवान का नामकरण किया था। एक बार ऋषि गर्ग, गोकुल में पधारे, जहां नंदबाबा और यशोदा मां ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। ऋषि गर्ग ने बताया कि वे पास के गांव में एक बालक का नामकरण करने आए हैं और रास्ते में मिलने के लिए इधर आ गए।
यह सुनकर मां यशोदा ने उनसे अपने बालक का भी नामकरण करने का अनुरोध किया। कहा जाता है कि नामकरण से पहले बाल-गोपाल की मनमोहक छवि को देखकर ऋषि गर्ग अपनी सुधबुध खो बैठे थे। पहली नजर में ही ऋषि गर्ग को पता लग गया था कि यह कोई साधारण बालक नहीं है। उन्होंने मां यशोदा से कहा कि आपका बालक अपने कर्मों के अनुसार कई नामों से जाना जाएगा।
वे समझ गए थे कि बाल-गोपाल के रूप में साक्षात् ईश्वर ने जन्म लिया है, लेकिन उन्होंने यह भेद सबके सामने नहीं खोला। ऋषि गर्ग ने कहा कि यह बालक अब तक कई अवतार ले चुका है और इस बार इसका जन्म काले रूप में हुआ है, इसलिए इसका नाम कृष्ण होगा। मां यशोदा को यह नाम पसंद नहीं आया। उन्होंने ऋषि से कोई और नाम रखने को कहा। तब ऋषि ने कहा कि आप इन्हें कन्हैया, कान्हा, किशन या किसना कहकर भी बुला सकते हैं। तभी से श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाने लगा।
गर्गाचार्य जी ने भगवान,बलराम का नामकरण किया उन्होंने उनका नाम संकर्षण,हलधर, और दाउ, रखा क्योकि उनके समान उस समय कोई बलवान नही था,वो हल लेकर चलते थे क्योकि उन्हें कृषि कार्य पसन्द था।
इस तरह महराज सुदर्शनाचार्य अपनी कथा से सभी श्रोताओं को पतित पावनी श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर भवसागर पार कराने वाली नाव में चढ़ा रहे हैं।
कथा में आचार्य श्री कांत गंगापारी,रुद्रनाथ पाण्डेय, शंकर चरण पाण्डेय,प्रशांत शुक्ला, बबलू शुक्ला, रंजीत शुक्ला सहित सैकड़ों कथा प्रेमी उपस्थित रहे