
प्रयागराज-महाकुंभ भगदड़ की जांच के लिए पहुंचे न्यायिक आयोग के सदस्यों ने प्रशासन से सवाल पूछे। जिसका जवाब बडे-बडे अफसर नही दे पाए।
न्यायिक आयोग की यह बैठक सर्किट हाउस में हुई जिसमें प्रयागराज जोन के कमिश्नर विजय विश्वास पंत, मेला अधिकारी विजय किरन आनंद, एडीजी भानु भास्कर, डीआईजी वैभव कृष्ण समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक कर घटना की विस्तृत जानकारी ली और CCTV फुटेज और प्लानिंग की जानकारी भी मांगी गई।
शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे हुई 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग की बैठक में टीम में रिटायर्ड जज हर्ष कुमार, पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डीके सिंह शामिल रहे।
न्यायिक आयोग ने अफसरों से दागे चार प्रमुख सवाल
1-क्या पहले से भीड़ नियंत्रण की ठोस योजना थी? अगर हां, तो भगदड़ कैसे हुई?
2-यह भगदड़ संगम क्षेत्र के अलावा अन्य किन स्थानों पर हुई?
3-मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो की सच्चाई क्या है? क्या झूंसी क्षेत्र में भी कोई घटना हुई?
4-CCTV फुटेज उपलब्ध कराए जाएं और भीड़ नियंत्रण प्लानिंग का पूरा विवरण दिया जाए।
सूत्रों के अनुसार, न्यायिक आयोग ने सबसे पहले मेला प्राधिकरण के अधिकारियों से सवाल किया कि “जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना थी, तो भीड़ नियंत्रण के क्या ठोस इंतजाम किए गए थे?” लेकिन प्रशासनिक अधिकारी संतोषजनक जवाब देने में असमर्थ रहे। आयोग ने नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि “यदि व्यवस्थाएं चाक-चौबंद थीं, तो फिर भगदड़ क्यों हुई?”
हालाँकि किसी भी अफसर ने कोई संतुष्टिजनक जवाब नही दिया आयोग को बिना जवाब के ही वापस लौटना पड़ा।
सोचने वाली बात यह है कि जिन अफसरों को महाकुम्भ मेला को सकुशल संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी गयी थी वो घटना के बारे में जवाब नही दे सके।
