सैकड़ो बीघे जंगल को जेसीबी मशीन लगाकर नष्ट करने की रची जा रही साजिश
समाचार माध्यम सचिन वंदन
चित्रकूट- एक तरफ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ’ वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पौधरोपण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील भी कर रहे हैं।लेकिन चित्रकूट में इस अभियान को पलीता लगाया जा रहा है। यहां अभियान से कुछ उलट हो रहा है। चित्रकूट के हरे भरे जंगलों की हरियाली धड़ल्ले से उजाड़ी जा रही है, लेकिन जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में मस्त हैं। जंगल उजड़ने की जरा भी उन्हें फिक्र नहीं है। अधिकारी जानबूझकर इस गंभीर मामले को नजरंदाज कर रहे हैं।
रानीपुर टाइगर रिजर्व के मारकुंडी रेंज भाग -2 के अंतर्गत आने वाले जंगलों में खुलेआम जेसीबी मशीन लगाकर पेड़ों को नष्ट किया जा रहा है, फिर भी जिम्मेदार कार्यवाही के बजाय खामोश बैठे हैं। मानिकपुर- इंटवा डुडैला मार्ग के मारकुंडी स्थित मार्कडेंय फीलिंग स्टेशन के समीप वन विभाग की भूमि को पट्टे की भूमि दिखाकर सैकड़ों बीघे जमीन को बाउंड्रीवॉल से घेर लिया गया है, जहां हजारों की संख्या में खैर, सेझा, धवा, तेंदू,चार, कहुवा इत्यादि प्रतिबंधित हरे पेड़ लगे हैं, जहां अब उन पेड़ों को जेसीबी मशीन लगाकर उखड़ा जा रहा है। जबकि वह जंगल रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कोर जोन एरिए में आता है। टाइगर रिजर्व का कोर जोन एरिये में किसी का प्रवेश करना भी अपराध की श्रेणी में है, लेकिन यहां डेढ़ सौ बीघे में बाउंड्रीवॉल बनाकर समतल किया जा रहा है।
आवास नहीं बल्कि वातानुकूलित सुविधा से लैस होटलो में ठहरते हैं रेंजर
ग्रामीण सचिन, नत्थू,शिवनरेश व दीपक का कहना है कि जो जंगल की भूमि में बाउंड्री वॉल बनाकर हरे-भरे पेड़ों को नष्ट कर रहा है, उसी के जिला मुख्यालय स्थित वातानुकूलित होटल में वनक्षेत्राधिकारी मारकुंडी मो. नदीम रुकते हैं। वन विभाग में मनमाफिक भ्रष्टाचार करने के बदले रेंजर को रुकने के लिए होटल में एयर कंडीशनर कमरा दिया गया है। मारकुंडी रेंजर मो. नदीम मारकुंडी आवास में रुकने के बाजय कर्वी स्थित होटल में रुकते हैं। अब आप इतने से ही अंदाजा लगा सकते हैं की रेंजर साहब वन संपदा के सुरक्षा के प्रति कितनी ईमानदारी से ड्यूटी कर रहे होंगे। योगी राज में इस तरह से लापरवाही करना तो बिल्कुल क्षम्य नहीं है, लेकिन ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही क्यूं नहीं की जा रही यह अपने आप मे एक बड़ा सवाल है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की हो रही अवमानना
रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र सीमा से 1 किमी. के अंतराल में किसी भी तरह के निर्माण, खनन इत्यादि नहीं किए जा सकते। बाघ अभयारण्यों की सीमा से एक किलोमीटर के भीतर खनन गतिविधि , निर्माण आदि न्यायालय के आदेश की अवमानना है। सर्वोच्च न्यायालय ने 26 अप्रैल, 2023 के अपने फैसले में निर्देश दिया था कि किसी राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के भीतर और उनकी सीमा से 1 किलोमीटर के क्षेत्र में निर्माण वा खनन की अनुमति नहीं होगी। लेकिन रानीपुर टाइगर रिजर्व में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
20 वर्ष पूर्व हुए थे पट्टे, लेकिन तब से जोता-बोया ही नहीं
इस भूमि को जिन्होंने बिक्रय किया है बातचीत में उन्होंने बताया कि आज से 20 वर्ष पूर्व बसपा शासन मे भूमिहीनों के नाम पट्टे किए गए थे। तभी हमारे नाम पट्टे भी हुए थे, लेकिन हमें जमीन नाप कर नहीं दी गई थी, ऐसे ही कह दिया गया था कि यहां जोत कर बुवाई कर लो, तब से उस भूमि को हमारे द्वारा जोता बोया नहीं गया है। जहां पर बाउंड्री बनाई गई है वहां हमारा कुछ नहीं था। जंगल से दूर खेती करने को कहा गया था। कृषि योग्य भूमि न होने और सिंचाई का साधन न होने की वजह से खेती नहीं हो रही थी।
पट्टे की भूमि का श्रेणी परिवर्तन कर किया विक्रय
सरकार भूमिहीनों को पट्टा देती है। जिससे वह खेती कर अपने परिवार का भरणपोषण कर सकें। लेकिन सरकार द्वारा दिए गए उन पट्टों का दुरुपयोग किया जा रहा है। पट्टे की भूमि की श्रेणी बदलकर, नियम और कानून को ताक में रखते हुए खरीद – फरोख्त का बड़ा मामला सामने आया है। इस पूरे मामले कई जिम्मेदारों की भूमिका संदेह के घेरे में है।
यह पूरा मामला वन विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है,लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं किया जाना जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है।इस संबंध में उपनिदेशक रानीपुर टाईगर रिजर्व का पक्ष जानने हेतु फोन से सम्पर्क साधने का प्रयास किया गाया लेकिन बात नही हो सकी। फिलहाल यह मामला बेहद गंभीर है, टाइगर रिजर्व के कोर जोन एरिए में पेड़ काटना बेहद संगीन अपराध है।