
चित्रकूट: लखनऊ से सटे जनपद सीतापुर में हुए पत्रकार साथी की नृशंस हत्या के खिलाफ चित्रकूट के पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। इसी के चलते मंगलवार को जिले के पत्रकारों ने एक बार फिर प्रेस क्लब ऑफ यूपी ,बुंदेली प्रेस क्लब और पत्रकार कल्याण समिति के संयुक्त तत्वाधान में कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी को ज्ञापन देने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने इसे लेने से इनकार कर दिया। इस असंवेदनशील रवैये से नाराज पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट परिसर में ही धरना देना शुरू कर दिया।

प्रशासन की बेरुखी से नाराज पत्रकार
जानकारी के मुताबिक, सीतापुर में एक पत्रकार की हत्या के मामले में न्याय और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर चित्रकूट के पत्रकारों के तीन प्रमुख संगठन कलेक्ट्रेट पहुंचे। प्रेस क्लब ऑफ यूपी के जिलाध्यक्ष अनुज हनुमत ने कहा कि वे इस हत्याकांड को लेकर प्रशासन तक अपनी आवाज पहुँचाना चाहते हैं और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की अपील करना चाहते हैं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, जिला प्रशासन ने पत्रकारों का ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी स्वयं कलेक्ट्रेट परिसर आए और कुछ देर बाद चले भी गए, लेकिन उन्होंने पत्रकारों की भावनाओं को समझने की जरूरत नहीं समझी। प्रशासन के इस रवैये से पत्रकारों में आक्रोश बढ़ गया, और उन्होंने वहीं धरने पर बैठने का फैसला किया।
पत्रकारों ने की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग
धरने पर बैठे पत्रकारों ने कहा कि अगर प्रशासन और सरकार पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। पत्रकारों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन इसी तरह से मीडिया कर्मियों की आवाज को दबाने की कोशिश करेगा, तो आगे और बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
प्रशासनिक असंवेदनशीलता पर उठे सवाल
बुंदेली प्रेस क्लब के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश द्विवेदी का कहना है कि जब समाज की हर छोटी-बड़ी घटनाओं को जनता तक पहुँचाने का काम पत्रकार करते हैं, तो उनकी सुरक्षा और न्याय के लिए प्रशासन का इस तरह बेरुखी दिखाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जिलाधिकारी का ज्ञापन न लेना यह दर्शाता है कि प्रशासन पत्रकारों की मांगों और सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
पत्रकार समाज कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष रामचंद्र तिवारी ने कहा कि जब वे किसी मुद्दे को उठाते हैं, तो उन पर दबाव बनाया जाता है। कई बार उन्हें डराया-धमकाया भी जाता है। अगर प्रशासन पत्रकारों की आवाज नहीं सुनेगा, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा बन सकता है।
धरना जारी, आगे की रणनीति पर मंथन
धरने पर बैठे पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता और ज्ञापन स्वीकार नहीं करता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने अन्य जिलों के पत्रकारों से भी इस आंदोलन में समर्थन देने की अपील की है।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पत्रकारों की हत्या पर न्याय मांगने का भी अधिकार छीना जाएगा? क्या मीडिया कर्मियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर प्रशासन इतना असंवेदनशील रहेगा? यह सवाल अब चित्रकूट ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के पत्रकारों और जागरूक नागरिकों के मन में उठने लगे हैं।
अगर प्रशासन जल्द ही इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाता, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।
इस मौके पर प्रकाश ओझा,सुधीर मिश्र , हरवंश द्विवेदी , नरेंद्र ,ललित पांडेय , गणेश शुक्ला, श्रवण कुमार पटेल , शिवप्रकाश पांडेय , धर्मेंद्र कुमार , राकेश कुमार , रामनरेश विश्वकर्मा , आकाश कश्यप सहित आधा सैकड़ा पत्रकार मौजूद हैं।