
Prakash ojha
चित्रकूट-उत्तर प्रदेश का पहला स्काई ग्लास ब्रिज 3 करोड़ 70 लाख रुपए की लागत से चित्रकूट के मानिकपुर तहसील अंतर्गत मारकुंडी क्षेत्र में स्थित तुलसी जल प्रपात (पूर्व में शबरी) पर बनकर लगभग तैयार हो गया है लेकिन तैयार होने से पूर्व ही पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।

वार्ड नम्बर 16 (सरैया) से जिला पंचायत सदस्य मीरा भारती ने पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए अपना एक वीडियो वायरल किया है जिसमे दावा किया जा रहा है कि ग्लास ब्रिज में कई स्थानों पर दरारें पड़ी हैं यदि गुणवत्तापूर्ण कार्य कराया जाता तो ऐसा न होता उन्होंने तेज बारिश होने पर ग्लास ब्रिज के गिरने की आशंका जताई तथा सूबे के मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच के बाद दोषियों पर कार्यवाही की मांग की

जिलाधिकारी ने किया था निरीक्षण
प्राप्त जानकारी के अनुसार मामले में रानीपुर टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक एनके सिंह ने बताया कि यह ब्रिज अभी वन विभाग को हैंडओवर नहीं हुआ है अभी ब्रिज में कुछ काम बाकी है कुछ माह पूर्व जिलाधिकारी के साथ निरीक्षण के बाद निर्माण एजेंसी को कई अधूरे काम को पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं सारी जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की है।

वही पवनसुत कंस्ट्रक्शन नामक निर्माण एजेंसी ने बताया है कि बारिश के कारण प्रवेश करने वाले फुटिंग स्थल पर कुछ मिट्टी के खिसकने से दरार दिख रही है जिसे सही कराया जाएगा कंस्ट्रक्शन कंपनी के अनुसार ब्रिज निर्माण के बाद पहली बारिश है, इसमें जो भी कुछ कमी होगी उसका पता चल जाएगा इसके बाद इसमें सुधार किया जाएगा जिससे आगे कोई समस्या न हो।
ग्लास ब्रिज में खर्च होंगे 3 करोड़ 70 लाख
इस ब्रिज का निर्माण 3.70 करोड़ की लागत से मारकुंडी के तुलसी जल प्रपात में प्रदेश के पहले ग्लास ब्रिज के रूप में कराया जा रहा है
इसमें ब्रिज के साथ टिकट विंडो व आसपास चबूतरे व सौंदर्यीकरण के काम शामिल हैं इसे पवनसुत कांस्ट्रेक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बना रही है हालांकि लोकसभा चुनाव के पहले वन और पर्यटन विभाग ने आमजन के लिए खोलने का दावा किया है लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत नहीं हुई और पहली ही बारिश ने अधिकारियों द्वारा किये गए गुणवत्ता के दावो की पोल खोलकर रख दी है।
इस ब्रिज में क्या है खास
लोहे और कांच की मोटी परतों से बन रहे इस धनुष और बाण के आकार वाले ब्रिज में खाई की तरफ बाण की लंबाई 25 मीटर है जबकि दोनों स्तंभो के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। यह पुल प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम की भार वहन करने की क्षमता रखता है। इस ग्लास स्काई वाक ब्रिज से तुलसी जल प्रपात पर पानी की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती दिखाई देती हैं जिसमे खड़े होकर पर्यटक प्राकृतिक मनोहरता का आनंद ले सकेंगे।

बिहार के राजगीर स्थिति स्काई ग्लास ब्रिज की तर्ज पर बनाया जा रहा यह ब्रिज
ब्रिज की डिजाइन को लेकर अधिकारियों की सात सदस्यीय टीम ने बिहार के राजगीर में स्काई वाक ग्लास ब्रिज का दौरा किया था। वन विभाग के मारकुंडी वन क्षेत्राधिकारी रमेश यादव कहते हैं कि वहां से लौटने के बाद टीम ने निर्णय लिया कि पुल में तपोभूमि की छाप होनी चाहिए क्योकि चित्रकूट को भगवान राम की तपोभूमि कहा जाता है इसलिए इसलिए धनुष और बाण की तरह दिखने वाले पुल को बनाने का निर्णय लिया गया।

