
शायद आपने कभी न कभी तो इस बात पर ज़रूर ध्यान दिया होगा कि बुलेट की ध्वनि सुपरबाईक्स की तुलना में भी बहुत ही अधिक तथा तीव्र ध्वनि उत्पन्न करता है। परन्तु ऐसा होता क्यों है ? दरअसल बहुत ही कम लोग यह जानते हैं परन्तु रॉयल एनफील्ड ने औज़ार का निर्माण करने वाली कंपनी के तर्ज़ पर ही अपने व्यापार को आरम्भ किया था, जो कि एनफील्ड राईफल्स के नाम से मशहूर था।
तथा इसके पश्चात वर्ष 1901 में इस कंपनी ने मोटर-साईकल का निर्माण कार्य आरम्भ किया। और उस समय इस मोटर साईकल कि टैगलाईन थी ” तोप की तरह दिखने वाली। गोली कि तरह चलने वाली”। अर्थात यह बिल्कुल स्पष्ट है कि बुलेट के इंजन का नक्शा विशेष तरीके से कुछ इस प्रकार तैयार किया गया था कि वह बहुत ही तीव्र ध्वनि उत्पन्न करे।
परन्तु प्रश्न यह उठता है कि आखिर एक इंजन कैसे इतनी तीव्र ध्वनि उत्पन्न कर सकता है ? असल में दोस्तों, सभी बाईकस में तीन प्रकार के इंजन का प्रयोग किया जाता है। पहला है स्क्वायर इंजन – इसमें पिस्टन के रॉड की लम्बाई तथा सेलेण्डर का व्यास समान होता है। दूसरा ओवर स्क्वायर इंजन – इसमें सेलेण्डर का व्यास पिस्टन की लम्बाई की तुलना में अधिक होता है। जिस कारणवश इसमें पिस्टन की गति बहुत ही अधिक तीव्र होती है, और यह जिस कारण इसमें आरपीएम तथा शक्ति अधिक उत्पन्न होती है।
अब क्यूंकि इसमें पिस्टन की गति बहुत ही अधिक तीव्र होती है, तो इस प्रकार की बाईकस कम ध्वनि में तीव्र गति से दौर सकती है। यही कारण है कि सुपर बाईक्स में भी इन्ही इंजिन्स का प्रयोग किया जाता है।
तीसरा इंजन है – अंडर स्क्वायर इंजन। इसमें सिलेंडर का व्यास पिस्टन कि रॉड की लम्बाई की तुलना में बहुत कम होता है। जिस कारण इन इंजिन्स में पिस्टन की गति थोड़ी धीमी होती है। और परिणामस्वरूप जब यह इंजन अपने भीतर से एक्स्ट्रा गैसेस को साईलेंसर के माध्यम से बाहर निकलता है, तो उनकी तीव्रता बहुत ही अधिक उच्च होती है। और यही कारण है कि हमे बुलेट के इंजन से रुक-रुक कर थम्ब थम्ब जैसी ध्वनि सुनाई पड़ती है। क्यूंकि इसमें पिस्टन धीमी गति के साथ परन्तु पूरी शक्तिं के साथ एक्स्ट्रा गैसेस को अपने अंदर से बाहर निकल देती है।
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