प्रकाश ओझा
मुम्बई- आईआरएस अधिकारी वीरेंद्र ओझा की पुस्तक “दास्तान और भी है” का विमोचन 6 जुलाई को शाम 5 बजे मुम्बई के क्रॉसवर्ड कैम्पस कार्नर में सफलतापूर्वक हुआ
पुस्तक का विमोचन मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी,प्रमोद पाठक,अतुल तिवारी व फ़िल्म निर्देशक सलीम आरिफ ने किया
मूल रूप से प्रयागराज जनपद के करछना तहसील के एक गाँव मे जन्मे वीरेंद्र ओझा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्र है जो महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई शहर में बतौर आयकर विभाग में कमिश्नर के पद पर सेवारत है श्री ओझा का साहित्य और इलाहाबाद के प्रति अगाध स्नेह है जिन्होंने सेवारत रहते हुए कई काव्य संग्रह और साहित्य रचनाएं की “दास्तान और भी है” इलाहाबाद के खट्टे-मीठे यादों और अनुभवों की एक पोटली है जो यह बताती है कि एक प्रतियोगी छात्र का जीवन कितना चुनौतीपूर्ण व आशाओ से भरा होता है।
वीरेंद्र ओझा सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्र छात्राओं के लिए निःशुल्क कार्यशाला का आयोजन करते रहते हैं तथा आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए “मार्गदर्शन” व “पथज्योति” नाम से ऑनलाइन कोर्स भी कराते हैं।
पुस्तक का कुछ अंश
मेरे साथ भाग्य बहुत प्रबल था ;मैं जानता हूँ मेरी क्या हैसियत है । एक विजय की करतल ध्वनि में तमाम पराजय के अवशेष विस्मृति के गर्भ में चले जाते हैं पर विजेता जानता है ;अपने रण में पाये ज़ख़्मों के दास्तान और उनसे उपजी पीड़ा का दंश ।हर पिघल रहे सूरज के साथ जब मंज़र पर ही नहीं उसके अपने अस्तित्व पर भी अँधेरा छा रहा होता है और एक डूबती रौशनी के सर-सब्ज जंगल में उसको जुगनू भी नहीं दिखते , वह आँखों को मींच- मींचकर आगे बढ़ने की कोशिश में कदम- दर कदम गिरता है और हर टकराहट में पैर पर ही नहीं पूरे शरीर पर ज़ख़्मों के निशान बन जाते हैं । यह ज़ख़्म विजय के उन्माद में कहते हैं ; लोगों को लग रही यह विजय आसान पर दास्तान कुछ और ही है।दास्तानें ऐसे ही नहीं बनती … एक नायक का संघर्ष होता है — एक अनोखे संघर्ष की कहानी