
आरके ओझा,मोमेंटम कोचिंग काशी- सोचिए, आप सोने जा रहे हैं, लेकिन न तो बिस्तर है, न तकिया, न ही ज़मीन पर सिर रखने का कोई तरीका! अंतरिक्ष में सोना कैसा होता होगा? क्या वहाँ भी इंसान सपने देखते हैं? चलिए, आज इस राज़ से पर्दा उठाते हैं!
स्पेस में कोई ग्रैविटी नहीं होती, तो अगर एस्ट्रोनॉट्स को खुला छोड़ दिया जाए, तो वे जहाँ-तहाँ तैरते रहेंगे! इसीलिए वहाँ सोने के लिए स्पेशल स्लीपिंग बैग्स होते हैं, जिन्हें दीवार से बाँध दिया जाता है ताकि सोते समय कोई हवा में तैरकर इधर-उधर न चला जाए। लेकिन वहाँ तकियों का कोई काम नहीं होता, क्योंकि सिर को सहारे की जरूरत ही नहीं पड़ती! बिना तकिए के सोना अजीब लगता है, है ना?
पर क्या स्पेस में नींद वैसे ही आती है जैसे धरती पर? नहीं! वहाँ पृथ्वी जैसा दिन-रात का चक्र नहीं होता। एस्ट्रोनॉट्स को हर 45 मिनट में एक सूर्योदय और सूर्यास्त दिखता है! यानी 24 घंटे में 16 बार सूरज उगता और डूबता है! सोचिए, अगर आपको सोते-सोते बार-बार रोशनी दिखे तो? इसी वजह से अंतरिक्ष यात्री अपनी नींद को रेगुलेट करने के लिए आई मास्क और कानों में ईयरप्लग्स लगाते हैं, ताकि बाहर की रोशनी और मशीनों की आवाज़ से उनकी नींद खराब न हो।
अब सवाल यह उठता है—क्या अंतरिक्ष में सपने आते हैं? जवाब है—हाँ! अंतरिक्ष यात्री भी सपने देखते हैं, लेकिन कभी-कभी वे अजीब हो सकते हैं। कुछ एस्ट्रोनॉट्स ने बताया है कि उन्होंने सपने में खुद को पृथ्वी पर गिरते हुए देखा, क्योंकि उनका दिमाग जीरो ग्रैविटी के माहौल को पूरी तरह समझ नहीं पाता। कुछ ने यह भी बताया कि वहाँ सपने ज़्यादा वाइब्रेंट और असली लगते हैं!
लेकिन सबसे मज़ेदार बात? कई एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में सोते समय पृथ्वी के बारे में ही सपने आते हैं! उन्हें अपने घर, परिवार, यहाँ तक कि धरती पर बनी छोटी-छोटी चीज़ों की भी याद आती है—जैसे बारिश की खुशबू, ताज़ी हवा, पक्षियों की चहचहाहट। सोचिए, जब हम हर दिन ये चीज़ें महसूस करते हैं, तो उनकी कीमत नहीं समझते, लेकिन जो महीनों तक अंतरिक्ष में रहते हैं, उनके लिए ये सबसे कीमती यादें बन जाती हैं।
तो बताइए, अगर आपको एक रात के लिए स्पेस में सोने का मौका मिले, तो आप क्या सपना देखना चाहेंगे? कमेंट में बताइए!
अगले भाग में जानेंगे कि अंतरिक्ष में इंसान के शरीर पर और कौन-कौन से अजीब प्रभाव पड़ते हैं! तब तक जुड़े रहिए #Hinglish_science के साथ! द्वारा आरके ओझा वाराणसी